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बिचारे जाट और गूजर
जाट आरक्षण के लिए आज कल जाट रेलमार्गों पर डटे हैं इस से पहले गुजरों ने यही करके अपनी मांगो पर सरकार का दिल जीता है | भारत सरकार को करोड़ो का नुकसान हो रहा है | इसमें इनका क्या कस्सूर |
बेचारो के पास करोड़ो रूपए है सब तरह से साधन संपन्न हैं | कुछ प्रान्तों के मुखिया (CM ) भी इनकी जाती के | कितने MP/MLA जाट या गूजर हैं जल्दी गिनना भी आसान नहीं | हरयाणा में कितने HCS और सरकारी नौकर शाह इनकी जाती के हैं शायद ये गिन भी न पायें | लेकिन इन्हें तो आरक्षण चाहिए | सरकार को इनके वोट चहिये | एक हाथ दो दुसरे हाथ लो | राष्ट्र का नुकसान होता है तो होता रहे |
यह समझने सोचने की बात है के इस तरह का आन्दोलन केवल बाहू बल और आर्थिक रूप से सम्पन लोग ही चला सकते | वास्तव में मजबूर लोग पहले पेट पालने लायक कमा पाने से फुर्सत पायें तो आन्दोलन करने की सोचें |
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