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मोदी जी ने बंगलूरू में कार्यकर्ताओं से बातचीत में लोगो का सफाई के प्रति ध्यान आकर्षित किया । मोदी जी ने सफाई के महत्व को बताते हुए इसके प्रति कार्यकर्ताओं व् जनता को जागरूक करने का प्रयास किया । कहा जाता है जहाँ सफाई हो वहां देवताओं का वास होता है। सफाई होनी चाहिए इस से कोई भी इंकार नहीं करता मगर हम सब सफाई रखने में कितना सह्योग करते हैं ये हमारा दिल जनता है।
मोदी जी ने इस सफाई के साथ साथ कानून के जंगल की सफाई और राजनितिक सफाई का भी जिक्र किया है । कानून के जंगल की सफाई के बारे में तो उनकी राय से इतफ़ाक सभी का हो सकता है । अप्रासंगित हो चुके कानूनो की भीड़ से कानून की किताबे मोटी होती जारही हैं । इस लिए ऐसे कानूनो का खात्मा जरूरी है । यह अच्छी बात बात है के इन्हे चिन्हित भी कर लिया गया है ।
उनकी राजनितिक सफाई वाली बात गले नहीं उतरती । इसमें उनकी कथनी और करनी में फर्क नज़र आता है । जिस प्रकार दूसरे दलों की गंदगी को दलबदल के माध्यम से बीजेपी में लाया जा रहा बीजेपी इतनी दूषित हो जाएगी कि इसकी सफाई के लिए भी गंगा सफाई अभियान की तरह बीजेपी सफाई अभियान चालान पड़ेगा । बीजेपी साफ़ हो भी पायेगी के नहीं ये भी गंगा के साफ़ होने या न होने की तरह संदिग्ध होगा ।
यदि राजनितिक दल साफ़ नहीं हैं तो उनसे साफ़ राजनीती की आशा करना एक बड़ी भूल होगी ।
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